कृषि भूमि पर उग रही अवैध कॉलोनिया बेखौफ अवैध कॉलोनाइजर,रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी), रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डेवलपमेंट) अधिनियम को किया दरकिनार
मयंक जैन – जमीन में वैध कॉलोनी बनाने पर नगर पालिका को विकास शुल्क समेत अन्य प्रभार के 50 लाख रुपए देने पड़ते हैं। इस राशि से बचने के लिए प्रॉपर्टी व्यवसायी और कॉलोनाइजर सीधे खेत मालिक के नाम पर प्लॉट की रजिस्ट्री करवाते हैं। इससे मोटा मुनाफा खुद कमा रहे हैं। कहीं फंसने की बारी आती है तो सारी जिम्मेदारी खेत मालिक पर डाल कर साफ बच निकलते हैं।
नगर पालिका की जानकारी के अनुसार इस समय नगर पालिका के अंतर्गत आने बाली अवैध कॉलोनियों के निर्माण में तेजी आई है। इसके आधा दर्जन मामले पकड़े गए हैं। इन केस के परीक्षण में पाया गया कि वैध कॉलोनी के निर्माण में नगर पालिका को विकास शुल्क, आश्रय शुल्क, गरीब परिवारों को प्लॉट न देने पर आश्रय शुल्क के साथ मूलभूत सुविधाओं का सुपरविजन चार्ज देना पड़ता है। तब प्रॉपर्टी व्यवसायियों को वैध कॉलोनी बनाने की अनुमति मिलती है। इस प्रक्रिया में एक एकड़ में कम से कम 50 लाख रुपए लग जाते हैं। यदि रकबा बढ़ा तो इससे अधिक राशि का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस राशि को न देने के चक्कर में प्रॉपर्टी व्यवसायी निगम क्षेत्र के आसपास के खेतों को अवैध कॉलोनी बना रहे हैं। इससे केवल समस्याएं ही जन्म ले रही है।
कृषि भूमि पर काटी जा रही है कालोनियां
खुरई क्षेत्र के अंतर्गत नगरीय एवं शहर के आसपास भू माफियाओं द्वारा महंगे दामों पर कृषि भूमि खरीदी जा रही हैं और उनको समतल करके शासन के नियमों को ताक पर रखकर खुलेआम अवैध रूप से कालोनिया काटी जा रही है जिस की ओर स्थानीय प्रशासन से लेकर जिले के आला अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित नहीं हो रहा है ।
बड़े-बड़े होर्डिंग बोर्ड व पंपलेट के माध्यम से सपने दिखाकर करते हैं लोगों को गुमराह
इन कॉलोनाइजरों द्वारा कृषि भूमि पर बड़े-बड़े होर्डिंग बोर्ड एवं पंपलेट में लोक लुभावने सपने दिखाकर लोगों को ठगने का काम किया जा रहा है इन अवैध कॉलोनाइजरों द्वारा अपने दलालो के माध्यम से लोक लुभावने वादे एवं कई तरह के सपने दिखाकर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है वादे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता वर्षों पुरानी काटी गई कालोनियों में आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई है जैसे ही प्लाटों की बुकिंग पूरी हो जाती है तो यह लोग उस कॉलोनी की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखते और फिर यह सामग्री नए स्थान पर ले जाकर नई कॉलोनी प्रारंभ कर देते हैं उसमें भी बड़े स्तर पर डेकोरेशन किया जाता है और शासन की सभी मान्यताओं का लोगों को भरोसा दिलाया जाता है लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी होता कुछ नहीं है जिससे लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं ।
ईडब्ल्यूएस नाम के प्लाट भी हड़प जाते हैं कॉलोनाइजर
शासन द्वारा ईडब्ल्यूएस लागू किया गया है जिसमें आरक्षण का नियम है और जिसमें मध्यम वर्ग के लिए कुछ राहत दी गई है लेकिन मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में इनका कॉलोनाइजर ओ द्वारा शासन के नियमों को ताक पर रखकर ऐसे लोगों को ना देते हुए अपनी मनमर्जी के मुताबिक ऊंचे दामों पर बेच दिए जाते हैं।
पार्क दिखाए जाते हैं पर बनाए नहीं जाते
कॉलोनाइजरों द्वारा होर्डिंग बोर्ड एवं पंपलेट में बड़े-बड़े पार्क के फोटो दिखाए जाते हैं और लोगों से कहा जाता है कि पार्क में स्वच्छ वातावरण बैठने के लिए कुर्सियां झूले पीने के पानी की व्यवस्था सहित अनेक प्रकार की सुविधाएं देने का भरोसा दिलाया जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा होता कुछ नहीं है सिर्फ प्लाट बेचने का यह हथकंडा मात्र है ।
धार्मिक स्थल के नाम लोगों के साथ किया जा रहा है छलावा
कॉलोनाइजरों द्वारा अपने दलालो माध्यम से ग्राहकों से कहा जाता है कि इस स्थान पर भव्य धार्मिक स्थल बनाया जाएगा और उसमें तरह तरह की सुविधाएं मौजूद रहेंगी लेकिन ऐसा होता कुछ नहीं है यह लोग लोक लुभावने वादे तो करते हैं सारे प्लाट बुक होने के बाद यह लोग अपने वादे से मुकर जाते हैं और धार्मिक स्थान, पार्किंग का स्थान, पार्क वाले स्थान को प्लाटो में तब्दील कर बेच देते हैं ।